जिंदगी प्यार का गीत–४

जिंदगी प्यार का गीत


यूं लगता था सारा सोलन गुलाबी रंग में रंग गया, रोहन की खुशी का ठिकाना न था।
रह रह कर वो अपने मोबाइल को चेक करता शायद मेसेज आया हो, कितनी बार तो लगा शायद मेसेज टोन ही साइलेंट हो गया या फिर मोबाइल कहीं ऑफ तो नहीं। पर सब कुछ तो ठीक है।
फिर अचानक कोई मैसेज आता तो झपट के मोबाइल हाथ में लेता सोचता शायद उसका ही मेसेज हो, फिर ना पाकर उदास हो जाता। दुकान में ज्यादा काम नही था क्योंकि लगातार चलती वर्षा लोगों को घरों में ही रहने को बाध्य कर रही थी।
आखिर 5 बजे उसका इंतजार रंग लाया जब एक बार फिर उसका मेसेज आया।
हेल्लो, गुड इवनिंग, कैसे है।
हैलो आशु जी, मैं अच्छा हूं, आप कैसी हो?
मैं अच्छी हूं, अभी ऑफिस से निकल रही हूं, वैसे मेरा पूरा नाम आशना है, पर घर पर सब मुझे आशु कहते हैं।
ओके, मुझे आपको आशु बुलाना अच्छा लगेगा, आपको कोई ऐतराज तो नही।
जी नहीं, आप मुझे आशु कह सकते हैं।
एक बात बताइए आप ने कैसे जाना की मेसेज सुबह मैंने ही किया था।
😂😀, आसान था, आपका नाम और नंबर शॉप के बोर्ड पर लिखा है।
अच्छा बाद में मेसेज करूंगी, और हां, आप प्लीज मुझे मेसेज न करें, कोई भी देख सकता है घर पर। जब होगा मैं ही आपको मेसेज करूंगी।
बाय, फिर बात होगी।
बाय, कहकर रोहन ने एक गहरी सांस ली, देखा तो वो ऑफलाइन जा चुकी थी।
तो ये मैडम अपने सोलन की ही है, कमाल है लगता तो नही, रहती कहां है, शायद पढ़ने बाहर गई होगी, या परिवार अभी कुछ समय पहले ही शिफ्ट हुआ होगा।
हजारों सवाल रोहन के दिमाग में चल रहे थे जिनका जवाब वो जानना चाहता था। पर जब तक उसका मेसेज ना आए तब तक कुछ नहीं।
सोचते सोचते रोहन के चेहरे पर एक मुस्कुराहट खेलने लग गई और वो बेसाख्ता ही गुनगुनाने लगा.......
पहला पहला प्यार है..….. पहली पहली बार है......
रोहन के लिए ये जज्बात बहुत नए थे, कॉलेज में तो उसने पढ़ाई और खेल के अलावा कुछ और सोचा ही नहीं, कितनी लड़कियों ने कितनी बार उसकी ओर कदम बढ़ाया पर वो उन सब से बेखबर और अनजान ही बना रहा।
कहीं न कहीं एक घबराहट थी उसके मन में जिस वजह से वो खुद को कभी लड़कियों के बीच या उनसे बात करते हुए बहुत असहज हो जाता था।
उसका पढ़ाई लिखाई और खेल कूद में अव्वल आना और उसकी मधुर आवाज उसे सहज ही किसी को पसंद आ जाने वाली उसकी बहुत सी खूबियों में से कुछ थी।
इसलिए जहां वो लड़कियों से कतराता वहीं लड़कियां उसको हर वक्त घेरने की फिराक में रहती, पर उसका शालीन स्वभाव और शर्मीलापन उनको उसका घमंड भी प्रतीत होता।
लिहाजा स्कूल कॉलेज में कभी भी किसी लड़की से उसकी दोस्ती या घनिष्ठता नही रही, और वो एक स्वच्छंद बादल सा खुले आसमान में विचरता रहा। पर कब तक आखिर आशु ने आकर उसके हृदय में ऐसी जगह बना ली थी की वो मन ही मन उसे अपना बनाने की सोचने लगा।
फिर किसी की आवाज ने उसके विचारों की कड़ी को तोड़ा, घर नही जाना आज, क्या??
घड़ी में समय देखा तो 8 बजने वाले थे, वो ख्यालों की दुनिया में इस कदर खोया था की उसे आसपास का भी होश नही था।
उसने झटपट दुकान बंद करी और तेज कदमों से घर की ओर चल दिया।
रात करीब नौ बजे फिर से मोबाइल पर आशु का मैसेज आया पहले सब इधर उधर की बातें फिर एक दूसरे को जानने पहचानने का सिलसिला शुरू हुआ।
आशना चंडीगढ़ के पास ही एक छोटे कस्बे की लड़की है। पिता और भाई दोनो मोहन मिकिंस कंपनी में कार्यरत थे। एक दुर्घटना में पिता का देहांत हो गया, कुछ 6 माह पहले, उन्ही के स्थान पर आशना को कंपनी ने नौकरी दे दी। 22 वर्षीय आशना ग्रेजुएट है और स्टेनोग्राफी का कोर्स भी किया है इसलिए उसे कंपनी के ऑफिस की एडमिन टीम में काम हासिल हुआ है। करीब 2 महीने हुए काम करते हुए पहले वो चंडीगढ़ के पास ही फैक्ट्री में थी पर 20 दिन पहले उसे सोलन के पास ही स्तिथ फैक्ट्री के ऑफिस में ट्रांसफर कर दिया गया है। बड़ा भाई और भाभी पहले ही सोलन में रह रहे थे और भाई भी उसी फैक्ट्री में कार्यरत है तो आशना यहां आ गई।
घर पर आशना की माताजी और छोटी बहन रहते हैं, माता जी गृहणी हैं और छोटी आहना, अभी कॉलेज में पढ़ रही है।
उस दिन भाई घर गया था तो आशना को अकेले ही जाना पड़ा और तब बारिश में छतरी छूट गई और रोहन से अचानक मुलाकात हो गई। उसने जिस तरह से आशना की मदद की उसे बहुत अच्छा लगा और आशना ने सोच लिया की वो रोहन से दोस्ती करेगी।
फिर रोहन की आंखों में भी उसे अपनापन झांकता नजर आया, पर मुश्किल ये थी कि बड़े भाई के सामने बात करे कैसे तो इसलिए निकाला वो तरीका।
अब तो दोनो की खूब बातें होती, सुबह सुबह एक दूसरे से एक छोटी सी मुलाकात, फिर आशु के लंच टाइम में, फिर शाम को बस से आते हुए और रात में डिनर के बाद। दोनो ही मोबाइल बनाने वालों का दिल से शुक्रिया अदा करते, जिसके चलते दूर से ही दोनो एक दूसरे को जानने लगे थे पहचानने लगे थे और अपना मानने लगे थे।
दोनो एक दूसरे से मन की बात कहते, सुनते, सुख दुख, हंसी मजाक बांटते, एक दूसरे की यादों की झलकी पाते। कभी आशु अपने नए पुराने फोटो रोहन को दिखाती तो कभी रोहन उसे अपनी मीठी आवाज में नगमा सुनाता। और कभी कभी आशु भी उसे अपनी आवाज में गुनगुना देती।
रोहन ने उसकी यादों को, तस्वीरों को संजो रखा था उसके गाए गुनगुनाए गाने संभाल रखे थे, जब मन करता उसकी तस्वीर देख लेता या फिर उसका प्रिय गाना सुन लेता जो आशु कई बार उसे सुना चुकी थी।
तुम्हे देख कर तो लगता है ऐसे, बहारों का मौसम आया हो जैसे
दिखाई न देती अंधेरों में ज्योति अगर तुम न होते......
उस ने आशु की आवाज रिकॉर्ड कर रखी थी।
उनकी ये प्रेम कहानी अब परवान चढ़ने लगी थी। दोनो ही एक दूसरे को जी जान से अपना मान चुके थे। बस अब समय आ गया था एक दूसरे के परिवारों को सहमत करवा कर एक दूसरे का हो जाने का।
अचानक एक दिन आशु ने बताया कि वो कुछ दिनों के लिए अपने शहर जा रही है, मां की तबियत खराब है। हो सकता है कुछ समय वहीं रुकना पड़े।
वो जल्दी ही वापस लौट के आयेगी, और समय मिला तो रोहन को वहां के सब हाल बताती रहेगी।
उसने ताकीद की कि रोहन उसे मेसेज ना करे वो खुद मेसेज करेगी।
दोनो ही इस जुदाई के लिए तैयार न थे पर मां के लिए जाना तो था ही।
उसी दिन आशु और उसका भाई तथा भाभी चंडीगढ़ के लिए रवाना हो गए .......

क्रमश:

आभार – नवीन पहल – ११..२०२१ ❤️🌹🎉👍


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9 Comments

Priyanka Rani

15-Dec-2021 09:40 PM

Nice

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Kaushalya Rani

14-Dec-2021 05:34 PM

Well penned

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Thanks a lot

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Seema Priyadarshini sahay

13-Dec-2021 12:22 AM

बहुत खूबसूरत

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धन्यवाद जी

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